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मां का दिल जो पिघला, तो बरसे आख से पानी .

smrit
smrit
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यादाश्त भी है कमजोर ,तो मै अक्सर भूल जाती हू.
मगर बचपन की हर एक बात मुझे तो याद रहती है .
भूल से भी ना भूले तुम्हारी हर एक याद रहती है.
तो वादा कर के जाओ तुम , दोबारा लौटने का बेटा.
मां का दिल जो पिघला, तो बरसे आख से पानी .
गला मां का जो भर आय़ा , मै कुछ भी बोल ना पाया.

तुम्हारी राह में मैने, मेरी नजरों को भेजा है ….
आखों की कमजोरी ,जो धूधला ही नजर आये.
मगर बेटा ये आखे राह देखे है ,तुमको तलाशे है.
तो वादा कर के जाओ तुम , दोबारा लौटने का बेटा.
मां का दिल जो पिघला, तो बरसे आख से पानी .
गला मां का जो भर आय़ा , मै कुछ भी बोल ना पाया.

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