Menu
blogid : 14524 postid : 1247844

झूठा प्यार

smrit
smrit
  • 20 Posts
  • 10 Comments

ठा प्यार ।
किसी जमाने में
कन्या को प्रेम पत्र देना और जान की बाजी लगाने में कोई विशेष अंतर ना था। लेकिन सन 2000 के बाद सबकुछ बदल गया। मोबाईल फोन से बात ही नहीं “ इजहार ए मोहब्बत ” करना भी बहुत ही सरल और सुरक्षित हो गया । आम आशिकों के लिए बड़ा ही मिक्स दौर था। ये उन शुरूआती दिनों की बात है। जब मोबाईल फोन आशिकों की जेब में और इंटरनेट उनकी पहुच में आया। इस दौर में आनलाइन फार्म भरने के अलावा लोग दिललगी करने भी साइबर कैफे जाने लगे थे। फेस बुक धीरे धीरे आरकुट की जान ले रहा था। और प्रेमपत्र देने की रिवायत आखरी सांसे ले रही थी। राजन कालेज का टॉपर था , लंबा ,चौड़ा कद काठी का रुबीला इंसान, मगर बातों में जरुरत से ज्यादा का शर्मिला था। वही साजन साधारण कद काठी लेकिन बातों का जादूगर था ।
इंटरनेट की virtual दूनिया में राजन की मुलाकात इरा से होती है। कुछ ही दिनों में राजन का जीगरी यार साजन और इरा की friend सखी भी उनकी फ्रैंड लिस्ट में शामिल हो जाती है। काफी दिन ऐसी ही गप्पबाजी और बतियाने में बीत गये ।
एक दिन तय हुआ की साजन और सावन बनारस से रवाना होंगे। और सखी और इरा उनका फैजाबाद के राजश्री मिस्ठान में इंतजार करेगी।

दुख की बात ये है कि उन दिनों सखी के आखों में लगे बल्ब में रौशनी नहीं थी।
वो बचपन से अंधी नहीं थी।chemistry लैब में प्रयोग के दौरान सल्फूयरिक एसीड की कुछ बुंदे आखों में चली गयी। डाक्टर का कहना है की कुछ महीनों तक आखों की रौशनी नहीं आयेगी । लेकिन धीरे धीरे नजर आ जाएगा।
तबसे लेकर आजतक। जो भी सखी को मिलता है, उनसे अपने अंधे होने की बात बोल के फ्री का मरहम और दूनिया भर की हमदर्दी लेती रहती है।
सड़क के इसपार दोनों रुबीले रंगबाज खड़े थे। उस पार राजश्री मिस्ठान था।
पहली बार किसी लड़की से मिलने जा रहे थे। दिल जरुरत से ज्यादा धड़क रहा था। राजन ने आखिर में अपने सुखे गले में थूक घोटा और बोला ।
अबे साजन ऐसा करो पहले तुम जाओ साईड से देख के आवो
बाबा धर्मेद पांडे बोले रहे की कभी भी दूसरे शहर की लौडियों से मिलने जाओ ।तो पहले ही रेकी कर लो। कौन जाने लोडिया मुखबिरी कर दे। मिलन के बहाने पिटावाने का प्लान ना बना रखी हो। कही लौडें धर के कुट दिए तो लेनी देनी हो जाए गी। साजन का आशिक मिजाज दिल गरम हो गया ।
बूजरी के तुम शक कर रहे हो।और साले अगर ऐसा करेगी तो बाबा विश्वनाथ की शपथ दो चार को हम ही सुत देगे । बाकी बचे शेष को तुम धर के कुट देना। रोज हजार डंबल और 500 सपाट कुटाने के लिए तो नही कुटते ना।
दो लड़किया चहरे को डूप्पटे से कैद किए, आखों से कई गुना बड़े चश्मों को पहने कार्नर के टेबल पर बैठी थी। हिजाब से चहरे को ढकने और स्कूटी चलाने का का क्रेज उनदिनों लड़कियों में जोरो पे था।
इसी बीच ईरा और सखी ने अपने चहरे से डूप्पटे को हटाया और इशारे से आवाज दी
जरुरत से ज्यादा और हद के पार वाली खुबसुरती देखकर साजन ने बोला
बेटा बनारस चलो।
ये जरुर इंग्लिस मीडियम में 12तक पढ़ी होगी। हिंदी मीडियम की लड़किया इतनी खुबसरत ना होती है पगले।
अब आए है तो समोसा छोला लस्सी और छुला भटूरा खा के और ताड़ के चलते है।
साजन और सावन बैठ गए । सखी तमतमाते हुए बोली । यार तुम लोग आधे घंटे से वेट करा रहे हो। हद होती है ऐसा तो हम लड़किया किया करती है । बनारस के लड़के भी ऐसा करते है ये आज पता चला।
राजन ने साजन की तरफ इशारा करते हुए बोला ।
ये तो साला घुस ही नहीं रहा था शर्म के मारे ।
इरा ने बोला हे राम तुम गाली देते हो।
राजन फीर झेप गया।
खैर थोड़ी देर की खोमोशी के बाद वो सभी फीर ठा करके हस दिए
साजन ने बिना देर करते हुए छोले समोसे और लस्सी का आर्डर कर दिया
मेरे लिए कोल्ड काफी लाना भईया
अपने बालो को झटकते हुए सखी ने बोला
राजन इस नजारे को देखते रह गया ।
मुझे तो आइसक्रीम चाहिए इरा बोली
साजन ने भी हाथ उठा के हामी भरी
मुझे भी कोल्डकाफी राजन ने बोल दिया
मन में सोच ही रहा था की ये कोल्ड काफी क्या होती है?
तभी इरा ने बोला ।तुम्हारा आर्डर कैन्सिल। क्योंकि यहा कोल्ड काफी नहीं मिलती।
काश कोई मेरे लिए कोल्डकाफी ला देता । इस बेचारी अंधी लड़की के लिए
साजन खड़ा हो गया बोला कहा मिलती है ये कोल्ड काफी
सखी को मानो हनुमान मिल गया। तपाक से बोली यही थोड़ी दूर पे गुप्ता काफी हाउस है ।
सखी की बातो पे ना आना ।
ये अंधी लड़की जहां भी भले मानस देखती है रोना शुरु कर देती है ।
हाय रे डायन तू मेरी दोस्त है या दुश्मन मेरी पोलपट्टी क्यों खोल रही है।
कुछ देर में मटका कुल्फी सबके सामने थी। और मुह फुलाए सखी चुपचाप बैठी थी।
राजन को नहीं रहा गया
चलो इन दोनों को आईसक्रीम खाने दो मै तुम्हें कोल्ड काफी खिला के लाता हू।
इस बात पे सखी पेट पकड़ के हसने लगी
साजन ने बोला बेटा बैठ जाओ । काफी होती है वो भी नेसकाफी कोल्डकाफी कुछ ना होती बे।
कन्याए फिरकी ले रही है हमारी ।
सखी और ईरा दोनों साजन की बात सुनकर ताली मार मार के हसने लगी ।
साजन को पहले लगा की उसकी बात से सावन का मजाक बन गया और वो भी उनके साथ ही हसने लगा
और राजन जमीन में सर गाड़ के बैठ गया
लेकिन जब सखी और ईरा साजन की तरफ इशारा कर के हसने लगी तो साजन को अहसास हुआ की तीर निशाने से चुक गया ।
अब दोनों लड़के जमीन में सिर गाड़ के बैठ गए। और लड़कीयों का हसते हसते पेट में बल पड़ गया।
थोड़ी देर बाद इऱा बोली ऐसा कर सखी
तू राजन को अपने साथ ले जा और कोल्डकाफी खिला
तब तक मै साजन को यहां आईस टी खिलाती हू।
और दोनों फीर हसने लगी ।
अच्छा ये बताओ तुम दोनों में किसे स्कूटी चलाने आती है।
राजन ने अपने चहरे के भाव को बदला और बोला
अरे चलाने नहीं आती पर उड़ाने जरुर आती है।
सखी ने बोला फीर उड़ा के ले चलो मुझे
सखी ने अपनी छड़ी ले ही रही थी की सावन उठ के बाहर जाने लगा
सखी ने आवाज दी
अरे ओ बाबू
मुझ अंधी को भी साथ ले चलो सावन को गलती का अहसास हुआ और वो सखी के बगल में आके खड़ा हो गया
सखी ने अपना हाथ सावन के हाथ में दे दिया
पहली बार किसी लड़की का हाथ अपने हाथ में लेते ही सावन के रौंगटे खड़े हो गए
लेकिन ये अहसास था बड़ा कमाल का
रास्ते में पड़ने वाले हर गढ़े. हर ब्रेककर के बाद सखी का सावन को कस के पकड़ लेना सावन के दिल को जोरो से धड़का दे रहा था।
खैर दोनों काफी हाउस पहुचे सखी ने दो कोल्ड काफी का आर्डर दिया।
थोड़ी ही देर बाद पतली ग्लास में सजी और भरी भरी कोल्ड काफी उनके पास आ गयी।
सावन ने सखी को बोला यार हम तो पहली बार ये कोल्ड काफी पी रहे है । काफी भी कम ही पीते हे । कभी कभी मम्मी चाय मे ही थोड़ी सी काफी डाल के बोलती है की आज काफी बनाई है।
मुझे लगा काफी पीने की चीज है तो कोल्ड काफी शायद कोई खाने पीने की चीज होगी ।
सखी मुस्कुरा दी । अभी दोनों बात ही कर रहे थे की एक आटो आके रुकी । इरा और साजन भी वहा पधार चुके थे।
तुम लोग यहा कैसे
वहा आईस टी भी नहीं थी। तो हम दोनो यहा खाने आगए
सखी ने बोला अब बस भी करो इरा ये दोनो मानस बहुत भोलू है
खैर शाम तक वहा घुमने फीरने के बाद राजन साजन बनारस लौट आए ।

साजन आज से सखी तेरी भाभी है।
सखी के दिल में मेरे लिए कुछ है जो मैने आज महसूस किया
साले ये बात तो मै भी बोल सकता हू उसके दिल में मेरे लिए भी कुछ है ।साजन भी चौड़ा हो गया
इरा भी मस्त है । तुम उसे क्यों नहीं लाईन देते। सावन ने साजन के कंधे पे हाथ रख कर कहा।
मै सेटिंग करा दूगा सखी से बोल के।
मै चाहू तो दोनों को सेट कर लू
साजन ने शेखी बघार दी
राजन ने साजन को देखा और बोला
ये तो मै भी जानता हू।
इसीलिए तो बोल दिया सखी को अपने भाई के लिए छोड़ दे।
देख वैसे भी लड़कियों के सामने मै पंचर हो जाता हू। एक सखी ही है। जिससे मै बात कर पाता हू । अब क्या तू उसे भी छीन लेगा
मै तरी जगह होता तो अपने दोस्त के लिए सखी जैसी कितनी लड़किया कुरबान कर देता ।
साजन ने भी शीशे के सामने अपना कालर टाईट करते हुए बोला ।सखी जैसी कुरबान करता पर सखी नहीं।
मै बोल रहा हू छोड़ दे वरना यही गुथ्थम गुथी हो जाएगा जूत्तमपयजार हो जाएगा । एक बार बोल दिया सखी loves राजन
बेटा मेरा एक हुरा लगे गा तो अस्सी से राजेन्दर प्रसाद पे गिरोगे। एक बार कह दिया सखी परिणय साजन
खैर बनारसी महुचोदी करने के बाद दोनों ने टॉस कर लिया। कि आज सखी से कौन पहले अपने दिल की बात करेगा।
टास में सावन की जीत हो गयी सावन ने फोन लगाया फोन नहीं लगा। कई बार लगाया नहीं लगा।
उधर साजन इरा से बात करके कुछ नये समीकरण बना रहा था।
अरे इरा तुम से एक बात करनी थी।
तुम्हे सावन कैसा लगा ।
अच्छा है, स्मार्ट है
चलो फीर सावन तुम्हारा हुआ ।हो गया फैसला।
अब तुम मेरी सेटिंग्स सखी से करावो जरा उसके दिल में मेरे लिए प्यार जगाओ । और मिलने का नया प्लान बनाओ।
सुनो अब लड़कियों के तरह अभी कैसे मै बोलू, पता नहीं तुम क्या कह रहे हो, मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा है, ये सब मत बोलना क्योंकि मुझे पता है कि तुम्हें सावन पंसद है।
इक्सेक्टली मै भी यहीं कहना चाहती हू ।
देखो राजन बहुत सीधा है ।उसने सिर्फ सखी से बात की है । पर मुझे पता है कि वो भी तुम्हें पंसद करता है। लेकिन बात करने में थोड़ा हड़बड़ा जाता है।
तो मै क्या उस बेजुबान जुबान बन जाओ ?
अरे नहीं तुम बस सखी से बोल दो तुम्हे सावन पंसद है।
मुझे नहीं करनी सखी से कोई बात। अगर सावन के दिल में मेरे लिए लव होगा तो खुद कह देगा मुझसे
साजन को गुस्सा आ गया ।
अऱे पगलैट(पगलेट) उसकी राजदार तो सखी है ना।
वो दोनों आपस में ही ज्यादा बात करते है । कही भावना में बह के एक अंधी ने एक बेजुबान का हाथ थाम लिया तो गजब हो जाएगा।
अंधी सखी को मेरे जैसे साजन सहारे की जरुरत है। और उस बेजुबान को तुम्हारे जैसी जबराट लड़की की जरुरत है। जो उसे हलक से दिल की आवाज निकाल सके।
अब फैसला तुम्हारे हाथ में है ।पंसद है तो एक चांस ले लो ।
ये बोल के साजन ने फोन काट दिया। इरा के मन में एकाएक हलचल सी मच गयी। पुरी रात राजन का चेहरा और साजन की बात ने उसे सोने ना दिया।
अगला दिन चढ़ते ही इरा सखी के घर आ गयी ।
वो अभी कुछ बोल ही पाती की सखी ने उससे पुछा
इरा साजन और राजन तुझे कैसे लगे
दोनों बहुत ही अच्छे है।
अरे ये तो मुझे भी पता है।
पर देखने में कैसे है।
स्मार्ट है पर भोलू टाइप है।
पर साजन ज्यादा स्मार्ट है
और राजन?
राजन बस लड़को जैसा है। जैसे सारे लड़के होते है। एक दम सिम्पल
हाइट भी तुझसे थोड़ी सी ही ज्यादा होगी।
लकिन
मुझे राजन पंसद है।
थोड़ी देर के लिए ही सही पर सखी सहम गई । राजन तुझे कब अच्छा लगने लगा?
मत पुछ जब से देखा तब से ।
प्लीस सखी मेरी बात कर ना राजन से। वो तेरी बात कभी नहीं टालेगा
सखी कमरे के बाहर बालकनी में आकर खड़ी हो गयी।
यार तुझे क्या हो गया कही तुझे भी सावन से प्यार तो नहीं।
क्या बोले जा रही है इरा हम अच्छे दोस्त है।
चल अच्छा है वैसे भी सावन तेरे टाईप का नहीं है। साजन तेरे लिए परफैक्ट है।
साजन मस्तीखोर ?
हा मस्त लगता है ।बाते भी कितनी फिल्मी करता है।
हा साजन उसने ही तो कल मुझे अपने दिल की बात बताई
क्या बोल रहा था।
यहीं की सखी तो मुझे हसोड़ समझती है।
कभी दिल की बात तो समझती नहीं।
क्या बात है इरा दोनो को एक बार में ही ठग लिया ।
मै मर गयी थी क्या मुझे क्यों नहीं बताया उन्होनें ।
तुझे भी कल ही पता चल जाता अगर तुझे हास्टपिटल नहीं जाना होता। और तेरा फोन स्विच ऑफ ना होता।

राजन ने सखी को फोन किया
वाह जी वाह याद आ गयी मेरी ……
अरे तुम्हारा फोन ही स्विच ऑफ था
मुझे तुमसे कुछ कहना था।
मुझे भी तुमसे कुछ कहना है
ठीक है पहले तुम बताओ
तुम्हें इरा कैसी लगती है
बहुत अच्छी
अच्छा तो फीर उससे से ही बात किया करो यहा कॉल करने की जरुरत नहीं
तुमने तो मेरा दिल तोड़ दिया
अरे सखी ऐसा कुछ नहीं है। मै तो बस तुमसे
क्या तुमसे हा मुझे सब पता चल चुका है …
देखो मेरी दोस्त का दिल मत तोड़ना कभी
वो शाम को तुम्हे काल करगी ।प्लीस आज अपने दिल की बात कह देना वो मना नहीं करेगी ।
अच्छा अब तुम बताओ। क्या कहना था तुम्हें?
राजन का दिल टूट चुका था। पर उसने खुद सम्हाला और कहा
सखी साजन तुमसे प्यार करता है ।
और मै भी
लेकिन ये मै भी तो बस उसके दिल मे ही रह गया ।
हा हा जानती हू ।साजन मुझसे प्यार करता है

सखी गुस्सा नहीं थी लेकिन उसे झूझालाहट हो रही थी
तुमने मेरे फ्रैंड को ठगा है तो क्या मै तुम्हारे फ्रैंड को छोड़ दूगी। साजन मुझे बहुत पंसद है।
अब इसे ज्यादा राजन सुन पाने की हद में ना था। फोन रख दिया । आज दिल भी टूटा था और बैलस भी ज्यादा कट गया था। कस्टमर केयर पे बात की तो पता चला काल रेट और सारे टैरिफ के रेट बढ़ गये है।

कुछ दिनों बाद राजन इलाहाबाद आ गया।
सखी और साजन ने कई बार फोन ट्राई किया लेकिन राजन ने उनसे कोई बात नहीं की।

फीर उन दोनों ने इरा से बोला सावन को कॉल करने के लिए ।
कई दिनों तक इरा राजन को फोन करती रही । राजन ने फोन नहीं उठाया । खैर जब समय कुछ दिन और गुजरा तो एक दिन सावन ने खुद ही इरा को फोन किया।
उसे भी लगा की एक फूल और दो माली बनने से अच्छा है चंचल चितवन वाली इरा से दिल का रोग ले लिया जाए। हसीन और हसमुख तो वो भी थी। चाहे सखी से थोड़ी कम ही क्यों ना

धीरे धीर साजन और सखी के लाईफ में राजन एक गुजरा हुआ मौसम बन गया। जो दूबारा कभी लौट कर नहीं आया । प्यार की मारी इरा को भी दोस्ती कुरबान करने का रत्ती भर अफसोस नहीं हुआ ।अब वो साजन या सखी से ना के बराबर ही बात करती थी।

सखी की आखे आ जाने के बाद वो हमेशा इरा और सावन से मिलने की बात करती थी। आज फीर उसने वही बात की तो साजन से नहीं रहा गया।
बताओ ना साजन उस दिन क्या हुआ था। तुम दोनों में किस बात पे झगड़ा हुआ था।
मैने सावन से तुम्हें मांग लिया था।
ये क्या बोल रहे हो। साजन मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा है।
राजन भी तुमसे प्यार करता था। या शायद अभी करता होगा।
मैने और इरा ने मिलकर सावन को उसके दिल की बात तुमसे कहने ही नहीं दी ।
साजन बस करो चुप हो जाओ ।
सखी इतने गुस्से में थी की उसने राजन का पता लगाया और दूसरे दिन ही इलाहाबाद चली आई।
सावन अगर साजन ने तुम्हारा दिल दुखाया है तो इरा ने भी मेरे साथ बहुत बड़ा छल किया है।
मेरा साजन से और तुम्हारा इरा से रिलेशन अब तक सिर्फ एक धोका था। एक फरेब था जो उन दोनों ने हम दोनों के साथ किया है।

सखी राजन इरा और साजन दिवार के चार कोनों पर खड़े थे।
साजन-प्लीस सखी इसमे इरा की कोई गलती नहीं । उसने जो किया मेरे कहने पे किया।
सखी-थोड़ी देर के लिए चुप हो जाओ
इरा -क्या गलत किया हमने। उस दिन सिर्फ तुम दोनों को ही प्यार नहीं हुआ था।
और मैने जो किया अपने प्यार को पाने के लिए किया।
साजन तुम्हें किसी से कुछ भी कहने या सुनेने की जरुरत नहीं है।
राजन-हद है। इतना सब कुछ हो जाने के बाद भी तुम्हें जरा भी पछतावा नहीं।
इरा फूट फूट कर रोने लगी।
राजन-तुम दोनों ने जो पाप किया है। उसके बाद किसी को ना दोस्ती और ना ही प्यार पे विश्वास होगा।
साजन-तुम अपने सच्चे प्यार को अबतक समझ नहीं रहे हो यार
सखी-तो क्या तुम्हारे जैसा विश्वासघाती इंसान समझ रहा है प्यार को।
ईरा-तो क्या तुम समझ रही हो सखी जो साजन के इतने साल के प्यार को भूल कर यहा रोने चली आई।
अपनी साधारण से कद काठी और औकात के बाद भी मैने यही हसरत रखी की एक दिन तुम जैसी किसी परी को मुझसे भी प्यार होगा।
और यहीं बात इरा ने भी सोची ।
और हमने बस तुम दोनों को पाने की कोशिश की।
हमेशा तुम्हारी परवाह की तुम्हे प्यार किया। तुम्हारी हर जरुरत का ख्याल करने की कोशिश की । बस एक ही कमी रह गयी। राजन जैसा कभी लग नही पाया। वरना आज तुम यहा ना होती।
किसी के रुपरंग पे बहक जाने को प्यार नहीं कहते । प्यार तो मैने और इरा ने किया। तुम दोनों से । इरा ने सिर्फ कहने भर से ही तुम्हारे लिए हमसे बात करना छोड़ दिया। हमेशा तुम्हारे लिए जीती और मरती रही। तुम्हारे लिए ही इरा फैजाबाद छोड़ कर इलाहाबाद आ गयी।
तुम दोनों जरुरत से ज्यादा हसीन और खुबसूरत हो । तुम दोनों को देखने वाला हर इंसान made for each other ही बोलगा । और हमे तुम लोगो के साथ देखे तो 19 20 या 17 20 बोलेगा। पर यहीं पे सब कुछ खत्म नहीं हो जाता। जब वक्त रंग बदले गा।जब हमारी उमर चहरे की झूरियों से गिनी जाएगी । तब हम सभी एक लाइन में ही खड़े होगे। कोई भी हमे या तुम्हे सुंदर या कम सुदंर नहीं देखेगा। लेकिन उस वक्त भी मेरे और इरा के लिए तुम दोनों ही दूनिया के सबसे हसीन और जहीन इंसान होगे।

काफी देर की खामोशी के बाद कमरे के दो कोने खाली हो गए। इरा और साजन जा चुके थे।
सावन और सखी आज एक होकर भी दूर थे। दोनों एक दूसरे की आखों में अब किसी और को ही खोज रहे थे ।
हम कितना भी इस बात को नकार दे की हम ऐसे नहीं है। लेकिन प्यार में आज भी हमलोग रंगों कि मिलावट करते है। गोरे काले की मिलावट करते है। हाइट और साईज की मिलावट करते है।

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply